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प्रसिद्ध समाज सुधारक स्वामी दयानंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया गया

 ताहिर अली की रिपोर्ट

लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरुप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में आर्य समाज के संस्थापक, धार्मिक पाखंड, रुढ़िवाद, मूर्तिपूजा के घोर विरोधी, मूर्धन्य मनीषी, प्रसिद्ध समाज सुधारक स्वामी दयानंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया गया तथा उनके द्वारा व्यक्ति, समाज, देश के सर्वांगीण विकास और विचार को जन-जन में पहुँचाने का संकल्प लिया गया|


       कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि स्वामी दयानंद ने सनातन धर्म में व्याप्त आडम्बर, मूर्तिपूजा, जाति व्यवस्था, छुवाछूत, बालविवाह, सतीप्रथा का विरोध किया, विधवा विवाह, समानता, महिला शिक्षा, और सशक्तिकरण के लिए प्रयत्नशील रहे, सत्य,


अहिंसा, अनुशासन पर उन्होंने जोर दिया, भारत को विदेशी शासन से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता आन्दोलन का मार्ग प्रशस्त करते हुए नवजवानों को प्रेरित किया| वह सामाजिक गैरबराबरी के घोर विरोधी, सर्वश्रेष्ठ अहंकारी समझ के लोगों को अच्छा नहीं समझते थे, उन्होंने हरिद्वार महाकुम्भ में “पाखंड खंडिनी पताका” 1867 में फहराकर लोगों को सन्देश दिया कि “स्नान करने से यदि मोक्ष मिलता तो मछली, गधा, कुत्ता भी स्वर्ग में होता”, लेकिन अल्पसंख्या में रहने वाले चालाक लोग

बहुसंख्यक जनता में भ्रम, पाखंड, झूठ फैला गंगा में स्नान करने की झूठी मनगढ़ंत कहानी अमृत कलश से लोगों में भ्रम पैदा किया, उससे वह उबर नहीं पा रहे है, रुढ़िवादियों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के कारण यह बढ़ता जा रहा है, धार्मिक पाखंड के कारण देश की राजनीति  भी प्रभावित हो रही है, इन कारणों से मानसिक गुलामी बढ़ रही है, जनता अनिर्णय की स्थिति में फैसला लेती है अयोग्य, अशिक्षित, अज्ञानी, भ्रष्टाचारी, झूठ और लूट करने वालों को भी मौका मिल जाता है, इस कारण पाखंड, अन्धविश्वास, भ्रम और झूठ बोलकर भोलीभाली जनता को ठगने वाले उनके विरोधी हो गये, विषाक्त दूध पिला, उनकी जान ले लिया | उनके विचार ने ऐसा क्रान्तिकारी परिवर्तन किया कि ठगों की दुकाने अंशत: बंद हो गयीं, लेकिन आज फिर 21 वीं शदी में धार्मिक पाखंड, अन्धविश्वास, महा झूठों की फ़ौज खड़ी हो अज्ञान का प्रचार – प्रसार कर देश में अंधकार और नफ़रत का वातावरण बना रही है, आज भी स्वामी दयानंद जैसे महा मनीषी की सार गर्भित विचार से ही देश, समाज और व्यक्ति को प्रकाश की किरण आलोकित कर सकती है, देश स्वामी जी जैसे संत का इंतजार बेशब्री से कर रहा है|

         कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शामिल रहे, राम दुलार यादव, उपेन्द्र गुप्ता, शिवम् पाण्डेय, हाजी मोहम्मद सलाम, हरिकृष, दिलीप कुमार, नवीन कुमार, सुरेन्द्र, विजय, सुभाष, अमर बहादुर, राजपाल आदि ने पुष्प अर्पित किया|


                                                                                                  

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