Mohd Anas
पिछले कुछ सालों से विवादों में रहे गांधी आश्रम के अस्तित्व को बचाने के लिए क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम समिति की ओर से नई पहल शुरू होने जा रही है। समिति की ओर से जल्द ही खाद्यान्न के स्टोर भी संचालित किए जाएंगे। लोगों को इन स्टोर पर जैविक खेती के आधार पर खाद्यान्नों को रखा जाएगा। लोगों को दाल, चावल, आटा, तेल आदि खाद्य पदार्थ इन स्टोरों पर उपलब्ध हो सकेंगे। इसके लिए एक प्रस्ताव बनाकर समिति की ओर से लखनऊ स्थित मुख्यालय भेजा जाएगा।
समिति के मंत्री पृथ्वी सिंह रावत ने बताया कि वर्तमान में गांधी आश्रम में रजाई, गद्दा, लिहाप, चादर, तकिया, तोलिया, लुंगी खादी से संबंधित आदि सामान बनाए जाते हैं। शहर में वर्तमान में 6 स्टोर संचालित हैं जिन पर खादी के वस्त्र उपलब्ध है। समिति की ओर से स्टोर संचालित करने की तैयारी है।
38 गांधी आश्रमों में जाता था मेरठ से बना सामान
मेरठ में गांधी आश्रम का प्रधान कार्यालय वर्ष 1928 में स्थापित हुआ। उस दौरान यहां करीब 600 कर्मचारी थे, लेकिन वर्तमान में मात्र 51 कर्मचारी हैं।
पहले यहां से देश के अन्य 38 गांधी आश्रम में कपड़ा आदि सप्लाई होता था। यहां की रंगाई शाला में ही कपड़े को रंगकर अन्य गांधी आश्रम में भेजा जाता था, अब रंगाई शाला बंद हो चुकी है। 15 अगस्त और 26 जनवरी के आसपास तिरंगा बनाया जाता है।
मेरठ काॅलेज के बरगद के पेड़ के नीचे हुआ था अखंड हवन
इतिहासकारों की मानें तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहली बार 1920 में मेरठ आए थे। इसके बाद सन 1929 में वह मेरठ आए थे और मेरठ काॅलेज में छात्रों से वार्ता की। 1943 में जब उन्होंने 21 दिन का उपवास किया तो इसे लेकर मेरठ काॅलेज में स्थित बरगद के पेड़ के नीचे 194 घंटे का अखंड हवन किया गया था।