सवर्ण समाज के प्रतिनिधि और समाज सेवी स्वर्गीय डॉ. बिदेश्वर पाठक को दिया जाए भारत रत्न सम्मान : पब्लिक पोलिटिकल पार्टी
नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर)
राष्ट्रहित और सवर्ण समाज की पब्लिक पोलिटिकल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने डॉ बिंदेश्वर पाठक को नमन करते हुए शोक श्रृद्धांजलि अर्पित की और कहा कि ये बड़ा दुखद है कि अब हमारे बीच डॉ. बिंदेश्वर पाठक नहीं रहे। पूरी दुनिया में सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक और समाज सेवी के रूप में जाने पहचाने जाने वाले डॉ. बिंदेश्वर पाठक के पंचतत्व में विलीन होने और हमारे बीच नहीं रहने पर पब्लिक पोलिटिकल पार्टी उन्हें नमन करते हुए शोक श्रृद्धांजलि अर्पित करती है।
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में हुई शोक सभा में डॉ बिंदेश्वर पाठक को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी गई।
श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने कहा कि ये नियति का विधान है हम सभी को एक दिन इस नश्वर शरीर का त्याग करना है। लेकिन
डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने जिस तरह मानव सेवा और भलाई के कार्य किए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा। उन्हें हम कभी नहीं भुला सकते। हम सभी उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन करते हैं। और पब्लिक पोलिटिकल पार्टी उनके कार्यों को देखते हुए उन्हें भारत रत्न दिए जाने की मांग करती है। क्योंकि स्वर्गीय डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने अपने कार्यों से मानव सेवा का ऐसा इतिहास रचा है जो स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
उन्होंने बताया कि डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने वर्ष 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी। वर्ष 1991 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। डॉक्टर पाठक द्वारा स्थापित शौचालय संग्रहालय को टाइम पत्रिका ने दुनिया के दस सर्वाधिक अनूठे संग्रहालय में स्थान दिया।
पद्म भूषण से अलंकृत 80 वर्षीय डॉ. पाठक जब स्वतंत्रता दिवस की सुबह सुलभ इंटरनेशनल के केंद्रीय कार्यालय में ध्वजारोहण कर रहे थे तभी अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था जहां उनका निधन हो गया।
डॉ. पाठक सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक के साथ-साथ टॉयलेट मैन के नाम से भी चर्चित एवं प्रसिद्ध रहे। डॉ. बिंदेश्वर पाठक को सिर पर मैला ढोने की कुप्रथा को ख़त्म करने के लिए भी जाना जाता है। वह विधवा महिलाओं को प्रताड़ित किए जाने के ख़िलाफ़ भी आवाज उठाते रहे और उनके हितों के लिए संघर्ष किया। उनके कार्यों को विश्व स्तर पर सराहा गया। डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने अपने सुलभ इंटरनेशनल सामाजिक संगठन के माध्यम से शिक्षा के द्वारा, मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम किया। उन्होंने खुले में शौच करने के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी और सफलता प्राप्त की।
सवर्ण समाज के प्रतिनिधि डॉ. बिदेश्वर पाठक का जन्म बिहार के वैशाली ज़िला स्थित रामपुर बघेल गांव में एक सवर्ण परिवार में हुआ था। उन्होंने पटना के बीएन कॉलेज से समाज शास्त्र से ग्रेजुएशन किया। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. पाठक मानवीय सेवा से ओतप्रोत थे। पिछले 50 वर्षों में उन्होंने हाथ से मैला ढोने वालों के मानवाधिकारों के लिए काम किया। पूरे भारत में बिंदेश्वर पाठक के सुलभ इंटरनेशनल के करीब 45 हज़ार वालंटियर्स हैं। डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने वर्ष 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी। वर्ष 1991 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। डॉक्टर पाठक द्वारा स्थापित शौचालय संग्रहालय को टाइम पत्रिका ने दुनिया के 10 सर्वाधिक अनूठे संग्रहालय में स्थान दिया गया। देशभर में सुलभ इंटरनेशनल के करीब 8500 शौचालय और स्नानघर हैं। सुलभ इंटरनेशनल के शौचालय के प्रयोग के लिए 5 रुपये और स्नान के लिए 10 रुपये लिए जाते हैं, जबकि कई जगहों पर इन्हें सामुदायिक प्रयोग के लिए मुफ़्त भी रखा गया है।
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी के संस्थापक लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आज हमारे बीच से डॉ. बिंदेश्वर पाठक जैसे व्यक्तित्व का चले जाना हम सब के लिए अपूर्णीय क्षति है। उनके मानवीय सेवा के कार्य हमारे लिए अमूल्य और मार्गदर्शक हैं। हम उन्हें अपनी शोक श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं उन्हें कोटि कोटि प्रणाम करते हैं और हम अपनी पब्लिक पोलिटिकल पार्टी के माध्यम से डॉ. बिंदेश्वर पाठक को भारत रत्न दिए जाने की मांग करते हैं। भारत सरकार उन्हें शीघ्र सम्मानित करे।