बरेली नगर के लोकप्रिय गीतकार उपेंद्र सक्सेना एडवोकेट को किशन सरोज गीत-ऋषि सम्मान से किया गया अलंकृत|
बरेली नगर के लोकप्रिय गीतकार उपेंद्र सक्सेना एडवोकेट को किशन सरोज गीत-ऋषि सम्मान से किया गया अलंकृत|
बरेली से मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट,
मुख्य अतिथि शिक्षाविद् एवं गंगाशील महाविद्यालय की डायरेक्टर वरिष्ठ समाज सेविका डॉ.शशि वाला राठी रही|
बरेली18 जनवरी। राष्ट्रीय कवि संगम ,ब्रज प्रांत, नाथ नगरी बरेली के तत्वावधान में संस्था के जिलाध्यक्ष रोहित 'राकेश' के संयोजन में गीत ऋषि किशन सरोज जी की 85 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर स्थानीय आजादपुरम् में उन्हीं पर केंद्रित गोष्ठी एवं सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि शिक्षाविद् एवं गंगाशील महाविद्यालय की डायरेक्टर वरिष्ठ समाज सेविका डॉ. शशि बाला राठी रहीं।
माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा किया गया।
संस्था द्वारा साहित्यिक क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान के लिए नगर के लोकप्रिय गीतकार उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट को किशन सरोज गीत- ऋषि सम्मान से अलंकृत किया गया ।सम्मान स्वरूप उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह संस्था के जिलाध्यक्ष रोहित राकेश डॉ शशिवाला राठी एवं किशन सरोज जी के सुपुत्र सचिन सक्सेना पुत्रवधु कल्पना सक्सेना द्वारा प्रदान किया गया।
इस अवसर पर संस्थाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कवि रोहित 'राकेश' ने बताया किशन सरोज जी का "चन्दन वन डूब गया" व "बना न चित्र हवाओं का" गीत-संग्रह प्रकाशित हो चुका है। किशन सरोज जी को 2004 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान भी मिल चुका है। शैलेश लोढ़ा,डॉ कुमार विश्वास,अशोक चक्रधर गोपालदास नीरज व संतोषानंद आदि कवियों ने उनके साथ अनेक बार मंच साझा किया है।
मुख्य अतिथि डॉ शशि बाला राठी ने कहा कि अपनी अनवरत काव्य यात्रा में हिंदी काव्य मंच के अत्यधिक लोकप्रिय कवि के रूप में किशन सरोज जी ने विशिष्ट पहचान बनाई ।किशन सरोज जी के मर्मस्पर्शी नवगीतकार थे। यह हमारा सौभाग्य है कि ऐसे अप्रतिम गीतकार की जन्मभूमि बरेली है।
अपने सम्मान पर उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने संस्था के प्रति आभार एवं किशन सरोज जी के प्रति श्रद्धा- सुमन अर्पित करते हुए अपनी रचना इस प्रकार प्रस्तुत की -
जो वियोग से व्याकुल दिखते, उनकी आँखों के वे तारे,
गीतों के ऋषि राज रहे हैं, ऐसे किशन सरोज हमारे ;
नए प्रतीकों के खोजी वे,थी साहित्य- साधना अनुपम ,
मिले तसल्ली टूटे दिल को, ऐसे गीत लिखे हैं सारे।
कार्यक्रम के अंत में आभार किशन सरोज जी के सुपुत्र सचिन सक्सेना ने सभी के प्रति प्रकट किया।