उर्स ए शराफती की परचम कुशाई की रस्म अदा की गई| जुलूस ए परचम कुशाई के साथ माहे रबिउन्नूर का पुरजोर इस्तकबाल और 55 वें उर्स शराफती का ऐलान किया गया|
उर्स ए शराफती की परचम कुशाई की रस्म अदा की गई| जुलूस ए परचम कुशाई के साथ माहे रबिउन्नूर का पुरजोर इस्तकबाल और 55 वें उर्स शराफती का ऐलान किया गया|
बरेली से मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट,
उर्स-ए-शराफती की आज परचम कुशाई में उमड़ा ज़ायरीन का सैलाब
बरेली। आज बुध पहली रबीउल अव्वल शरीफ़ में उर्से शराफ़ती की परचम कुशाई की रस्म अदा की गई। जुलूसे परचम कुशाई के साथ माहे रबिउन्नूर का पुरज़ोर इस्तकबाल और 55 वें उर्सेे शराफ़ती का ऐलान किया गया। ज़ुहर की नामज़ बाद दोपहर में ख़ानक़ाहे सकलैनिया शराफ़तिया के मेहमान खाने में तिलावते कलामे पाक से प्रोग्राम का आग़ाज़ हुआ हज़रत शाह मौलाना शराफ़त अली मियां रहमतुल्लाह अलैह की पाक रूहानी जिंदगी पर रौशनी डाली।
परचम को उठाते हुए दरगाह शरीफ़ के मेहमान खाने से बाहर रोड तक तशरीफ़ लाए, फिर आपने साहिबज़ादे जनाब ग़ाज़ी मियां व इंतिखाब सकलैनी, मुर्तुज़ा सकलैनी को परचम सौंपकर जुलूस को रवाना किया।
जुलूस की क़यादत मियां हुज़ूर के साहिबज़ादे अल्हाज मुहम्मद ग़ाज़ी मियां व पोते अल्हाज सादकैन सकलैनी ने की।
जुलूस अपने कदीमी तयशुदा रास्तों कच्ची मस्जिद, ब्रहमपुरा, दीवानखाना, कोहाडापीर, नैनीताल रोड, कुतुबखाना, गली मनिहारान होता हुआ दरगाह शरीफ़ पर पहुंचा और इसके बाद उर्स का परचम दरगाह पर नस्ब कर दिया गया।
जुलूस का रास्ते भर ज़ोरदार इस्तकबाल
जुलूस ए परचम कुशाई का रास्ते में जगह -जगह लोगों ने खूब गर्म जोशी से इस्तकबाल किया और हार फूलों की बारिशों से फिज़ाएं मोअत्तर होती गई।
जुलूस में इस दौरान हसीब रौनक व आमिल ककरालवी रास्ते भर नात ओ मनक़बत शरीफ़ के कलाम पढ़ते हुए चले, जिससे जुलूस में शामिल अकीदतमंद खूब महज़ूज़ हुए। जुलूस में इस साल अन्य प्रदेशों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार, पंजाब, दिल्ली, बिहार आदि प्रदेशों दे बड़ी तादाद में ज़ायरीन शिरकत करने आए।
अकीदतमंदों के लिए सबीलों का भी रहा उम्दा एहतिमाम
जुलूस में शामिल अकीदतमंदों के लिए खाने-पीने का भी खूब उम्दा एहतिमाम किया गया, जुलूस जब ब्रह्मपुरा पहुंचा तो वहां पर अरोड़ा जी ने प्रेम व एकता का संदेश देते हुए जुलूस का हार फूलों से इस्तकबाल किया, इसके बाद लक्की शाह, सलमान सकलैनी, गुफरान सकलैनी ने ज़ोरदार इस्तकबाल किया, यहीं पर अब्दुल कयूम मुन्ना ने भी शाल पहनाकर अल्हाज गाज़ी मियां का इस्तकबाल किया। भूडो पर डॉक्टर राम किशोर ने हार फूलों से इस्तकबाल किया, यहां से आगे बढ़कर गज़नफर वारसी की जानिब से शाल पहनाकर इस्तकबाल किया गया। कोहाड़ापीर चौराहे पर गुलाब नगर के घोसी बिरादरी के सकलैनी भाइयों ने 15 कुंटल दूध की सबील की, वहीं पर शावेज़ सकलैनी की दुकान पर फातिहा हुई और सबको तबर्रुक तकसीम हुआ। नैनीताल रोड पर आरिफ़ सकलैनी, सालिक सकलैनी, मुमताज़ सकलैनी, तौहीद सकलैनी, तनवीर सकलैनी, मुशीर सकलैनी आदि की दुकानों पर जुलूस का पुरज़ोर इस्तकबाल किया गया और शरबत व मिठाई की सबील की गई। कुतुबखाना चौराहे पर भी भूत से दुकानदारों ने जुलूस का फूल बरसाकर इस्तकबाल किया और खाने-पीने की सबीलेँ भी की गईं। गली मनिहारान में सिकंदर सकलैनी, रीनू सकलैनी, गुड्डू सकलैनी, शब्बू सकलैनी, लईक सकलैनी, हसन सकलैनी, मजीद सकलैनी, मोहम्मद अली सकलैनी आदि ने शानदार अंदाज़ में जुलूस का इस्तकबाल किया और सभी ज़ायरीन के लिए मिठाई, बिस्किट व शरबत की सबील की। मोहल्ला शाहबाद में ज़हीर सकलैनी, इरशाद सकलैनी, अमान सकलैनी, शमशाद सकलैनी, शाहीन सकलैनी आदि ने फूलों की बारिश कर जुलूस का इस्तकबाल किया और सबील भी की।
जुलूस में शामिल होने के लिए मुक़ामी ज़ायरीन के अलावा दूर-दराज के भी बड़ी तादाद में ज़ायरीन रामपुर, मुरादाबाद, दिल्ली, बदायूं, पीलीभीत, रुद्रपुर, काशीपुर, हल्द्वानी, किच्छा, रिछा, शाहजहांपुर, फरीदपुर, फतेहगंज, मीरगंज, मिलक, सरदारनगर, मजनूपुर, भोजीपुरा आदि जगहों से अकीदतमंद चादर शरीफ़ के जुलूस लेकर जुलूसे परचम में शामिल होने आए।
रामपुर से मुरीदीन 100 मोटर साइकिल का काफिला लेकर जुलूस में शामिल होने आए। जुलूस में रास्ते भर जश्ने ईद मिलादुन्नबी सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम व आमदे उर्स-ए-शाह शराफ़त अली मियां के नारे बुलंद होते रहे और इसी के साथ जुलूस वापस दरगाह शरीफ़ पहुंचकर संपन्न हुआ और उर्स का परचम नस्ब कर दिया गया। जुलूस में पुलिस प्रशासन की तरफ़ से भी बेहतर सुरक्षा व्यवथा कायम रखी गई और हमारे छेत्र के अधिकारी इंस्पेक्टर बारादरी, चौकी इंचार्ज शाहबाद, चौकी इंचार्ज कोहाड़ापीर व चौकी इंचार्ज कुतुबखाना ने उचित सुरक्षा बल लगाकर जुलूस को शांतिपूर्ण संपन्न कराने में सहयोग किया।
जुलूस में खास तौर पर मौलाना महमूद उल हसन, इंतिखाब सकलैनी, मुर्तुज़ा सकलैनी, हाफ़िज़ गुलाम गौस, मुंतासिब सकलैनी, हमज़ा सकलैनी, फ़ैज़याब सकलैनी, मुनीफ सकलैनी, मुस्तिजाब सकलैनी, हाजी लतीफ कुरैशी, मुख्तार तिलहरी सकलैनी, हाजी इंतज़ार हुसैन, मन्ना सकलैनी, हाफ़िज़ जाने आलम सकलैनी, हाफ़िज़ जान मुहम्मद, मौलाना रुम्मान सकलैनी, मौलाना अनवार, हाफ़िज़ नफीस सकलैनी, असदक़ सकलैनी, नज़ीफ सकलैनी, ऐनुल सकलैनी, उमम सकलैनी, आफताब सकलैनी, मोहसिन आलम सकलैनी, ज़िया सकलैनी, रिज़वान सकलैनी, अबरार सकलैनी, आदिल सकलैनी, निज़ाम सकलैनी, तनवीर सकलैनी, यावर सकलैनी, मुनीर सकलैनी आदि मौजूद रहे।