इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जौनपुर की विभिन्न योजनाओं में पांच हजार करोड़ के फ्राड कर घोटाले की जांच पर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से पूछा है कि क्यों न राष्ट्रीय हित में जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी जाय।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जौनपुर की विभिन्न योजनाओं में पांच हजार करोड़ के फ्राड कर घोटाले की जांच पर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से पूछा है कि क्यों न राष्ट्रीय हित में जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी जाय। कोर्ट ने केंद्र सरकार के संबंधित विभागों से जानकारी मांगी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला और न्यायमूर्ति एसपी सिंह की खंडपीठ ने कुमारी बाबा बेटी की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि जौनपुर के विभिन्न योजनाओं में हुए पांच हजार करोड़ के फ्राड की शिकायत दर्ज कराई है। उसे इस घोटाले में लिप्त लोगों द्वारा धमकी दी जा रही है। विवेचना अधिकारी याची पर समझौते का दबाव डाल रहा है। इसलिए केस की विवेचना अन्यत्र स्थानान्तरित की जाय। हालांकि कोर्ट ने स्थानांतरित करने की मांग अस्वीकार कर दी और डीजीपी को इस पर निर्णय लेने को कहा है।
सरकारी वकील का कहना था कि विवेचना हो रही है। याची बयान दर्ज कराने के लिए हाजिर नहीं हो रही है। कोर्ट ने कहा कि याची को धमकी मिल रही है। ऐसे में उसे डीजीपी से मिलने जाते समय सुरक्षा दी जाए। यदि डीजीपी केस स्थानांतरण नहीं करते तो याची को विवेचना अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए सुरक्षा मुहैया कराई जाय। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को भी याची के आरोपों पर विचार करने का निर्देश दिया है।