रोजनामा उर्दू इंकिलाब में प्रकाशित लेख का रद्दे अमल
महीने के आखिरी दिन एक पुलिस स्टेशन में सैनिक और निरीक्षक इकट्ठा होते हैं। महीने भर चलने वाले 'वीक ऑफ रिसीप्ट' की आज से शुरुआत हो गई। एक सिपाही एक अलग कोने में बैठकर प्रक्रिया देख रहा था। उसकी आँखों में चमक के स्थान पर घृणा थी। जब उनके हिस्से का पैसा उनके पास पहुंचा तो उन्होंने लेने से मना कर दिया।एक वरिष्ठ सिपाही ने उनसे कारण पूछा। जिस आदमी ने पैसे लेने से इनकार कर दिया, उसने कहा कि यह हराम है। एक इंस्पेक्टर ध्यान से सुन रहा था। उसने पूछा कि उसने पैसे का अपना हिस्सा लेने से इनकार क्यों किया। सिपाही ने कहा कि वह पैसे नहीं ले सकता क्योंकि ऐसा करना "पॉप" था। मुझे प्रशिक्षित किया गया है, मुझे बताया गया था कि रिश्वत लेना हराम है। और यह पैसा बलपूर्वक प्राप्त किया गया है। यह हराम से भी बदतर है। इंस्पेक्टर को कुछ सम्मान मिला। उसने सोचा कि कल का यह लड़का ऐसी बात कह रहा है और मैं यह काम एक वरिष्ठ के रूप में कर रहा हूं। सिपाही के स्पष्टीकरण का उस पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि उसने अपने हिस्से का पैसा अन्य सिपाहियो को भी लौटा दिया और वादा किया कि आज के बाद वह रिश्वत और साप्ताहिक भुगतान नहीं करेगा।
उपरोक्त पैराग्राफ किसी उपन्यास का उद्धरण नहीं है। यह एक सच्ची घटना है जो बिहार की राजधानी पटना के एक पुलिस स्टेशन में घटी है। इस घटना को किसी साधारण कहानीकार ने नहीं बताया है। कॉपी किया गया था जिस सैनिक ने 'वसूली के सप्ताह' में भाग लेने से इनकार कर दिया था, उसे पटना के हज भवन में प्रशिक्षित किया गया था। पुलिस में भर्ती के लिए आवश्यक आवश्यक तैयारी के साथ-साथ उन्हें धार्मिक और नैतिक प्रशिक्षण भी दिया गया।उन्हें एक ऐसा व्यक्ति बनाया गया जो इस्लाम के लिए आवश्यक है।
बिहार सरकार में मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी आमिर सोभानी ने एक और घटना सुनाई: हज फ्राइंग में प्रशिक्षित एक मुस्लिम सैनिक मुजफ्फरपुर में एक इंस्पेक्टर की जिप्सी चलाता था। सरकारी वाहनों को ईंधन भरने के लिए हर दिन एक सरकारी कूपन मिलता है। उसने आधिकारिक कूपन अपने को दिया ड्राइवर और उसे अपनी कार में पेट्रोल भरने के लिए कहा। सिपाही ने मना कर दिया। इंस्पेक्टर नाराज हो गया। उसने कहा कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई। मैं इसे निजी कार में ईंधन भरने के लिए नहीं बल्कि ईंधन भरने के लिए लेता हूं। ऐसा करना पाप है। सिपाही चालक निरीक्षक पर गहरा प्रभाव पड़ा। आमिर सोभानी ने कहा कि अब स्थिति यह है कि जिलों के पुलिस कप्तान उस चालक के लिए एक सिपाही की तलाश कर रहे हैं जिसे हज फ्राइंग पैन से भर्ती किया गया है। उसे यकीन है कि वह एक उपासक होगा और न पियक्कड़ चालक, वह न तो झूठ बोलेगा, और न अपके बड़े को धोखा देगा।
अमीर सोभानी ने एक और दिलचस्प घटना सुनाई। उन्होंने कहा कि वीआईपी कारवां में एक सैनिक की ड्यूटी लग गई। इससे दूसरे ड्राइवरों का पूल खुलना शुरू हो गया, इसलिए उन सभी ने मिलकर अपना कर्तव्य बदल दिया। मुझे हजभून (पटना) की बात अच्छी लगी कि वे पुलिस में ड्राइवरों की भर्ती की तैयारी के लिए ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स को भी बुलाते हैं। जिलों के एसएसपी ऐसे ड्राइवरों को प्राथमिकता देते हैं। वे हज भवन से जो प्रशिक्षण लेते हैं, वह भी एक भावना पैदा करता है इसलिए इस साल बिहार पुलिस के सात ड्राइवर जिन्होंने हज भवन से ट्रेनिंग ली थी ली थी छुट्टी लेकर हजभून आए हैं और अब दो महीने के लिए नए उम्मीदवारों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. कभी-कभी वरिष्ठ अधिकारियों की ड्यूटी पर तैनात साधारण सैनिक भी महान कार्य करते हैं।
हज भवन में बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी 2014 में शुरू हुई थी, जब पिछले चार वर्षों से रिक्त पदों की परीक्षा एक साथ आयोजित की गई थी। जिसमें 50 लड़कियां हैं। उन्हें आवास सहित सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। 2018 में, उनके 106 उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी अंतिम साक्षात्कार में पहुंचे, जिनमें 51 सफल रहे। इनमें 19 लड़कियां थीं। 2019 में 55 में से 24 उम्मीदवारों का चयन किया गया। अब तक हज भवन के 100 से अधिक प्रशिक्षित युवाओं को बिहार लोक सेवा आयोग का अधिकारी नियुक्त किया गया है। इनमें से 10 डीएसपी, 15 जिला कलेक्टर, 10 शिक्षा अधिकारी और 25 से अधिक खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) नियुक्त किए गए हैं। बीडीओ अपने क्षेत्र की 'सरकार' है। इसके पास बहुत सारी शक्तियाँ हैं।
दिल्ली में कई संस्थान मुस्लिम युवाओं को यूपीएससी के लिए तैयार करते हैं। मैं उनकी उपलब्धि पर कोई नकारात्मक टिप्पणी करने के पक्ष में नहीं हूं। जहां भी कोई भी कर रहा है, उसकी सराहना की जानी चाहिए। लेकिन सारा जोर सिविल सेवाओं पर है। अकेले बिहार लोक सेवा आयोग का एक ही है भारत में यूपीएससी की कुल संख्या के रूप में रिक्तियों की संख्या। उदाहरण के लिए, बिहार में 64 वें बैच में 700 रिक्तियां थीं। उनमें से, हज भवन के 51 प्रशिक्षुओं को सीटें मिलीं, हमारे शुभचिंतक और संस्थान प्रांतीय स्तर की परीक्षाओं की तैयारी भी कर सकते हैं। केरल, तेलंगाना, महाराष्ट्र और बंगाल के हजभून भी पटना की शैली में काम करने का इरादा रखते हैं। इसके लिए दान करने की कोई आवश्यकता नहीं है। प्रांतीय स्तर पर, देश में अल्पसंख्यक कल्याण विभागों के पास एक बहुत ही विशेष कोष है। व्यक्तिगत रूप से, केंद्र सरकार भी उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। वर्तमान में, पटना कहज भून 300 तैयार कर रहा है बिहार पुलिस में ड्राइवरों की भर्ती के लिए उम्मीदवार, जिसके लिए 1700 पद सृजित किए गए हैं।
हज भवन और 'बारिश' के सीईओ मोहम्मद राशिद हुसैन की व्यक्तिगत घटनाएं भी बहुत दिलचस्प हैं। उन्होंने जेएनयू से फारसी में एमए किया। जेआरएफ और एसआरएफ के बाद, उन्होंने हमदर्द स्टडी सर्कल से यूपीएससी की तैयारी भी की। जब उनका तबादला हुआ सहरसा के डिप्टी कलेक्टर (भूमि सुधार) के पद पर, तीन हजार से अधिक लोगों ने उनके कार्यालय को घेर लिया। उनमें से अधिकांश विहिप, बजरंग दल और भाजपा के थे। वे नहीं चाहते थे कि इतने अच्छे और न्यायप्रिय अधिकारी पीछे रहें। यह मुश्किल था स्थानीय विधायक ने अपना सम्मान बचाने के लिए क्योंकि लोग उन पर इतना ईमानदार होने का आरोप लगा रहे थे। उन्होंने अधिकारी का तबादला कर दिया है। विधायक ने मुहम्मद राशिद हुसैन को हाथ जोड़कर रुकने को कहा। मैं काम पर जा रहा हूँ। डिप्टी कलेक्टर (भूमि सुधार) का पद भी बहुत महत्वपूर्ण है। भूमि सुधार अधिनियम में, इस पद को महान शक्तियाँ दी गई हैं। उन्होंने दबंग से कई गरीब लोगों की भूमि को त्याग दिया। जब उनका तबादला हुआ 2008 में सीवान के बीडीओ के पद पर फिर भी लोगों ने उन्हें घेर लिया। स्थानीय विधायक ने कहा कि वह एक गरीब किसान था। और मसीहा है। यहाँ मत छोड़ो। यह विशेषता तब पैदा होती है जब दिल में भगवान का भय होता है प्राधिकरण के साथ। क्या अन्य प्रांतों के हज फ्राइंग पैन का ऐसा कोई इरादा है?
کرنے کا کام یہ ہے--
ودودساجد
(انقلاب میں شائع ہفتہ وار کالم رد عمل)
ایک پولیس اسٹیشن کے سپاہی اور انسپکٹر مہینے کے آخر ی دن جمع ہوئے۔ مہینہ بھرجو ’ہفتہ وصولی‘کی تھی آج اس رقم کی حسب مراتب تقسیم کا عمل شروع ہوا۔ ایک سپاہی ایک الگ گوشہ میں بیٹھا ہوا اس عمل کو دیکھ رہا تھا۔ اس کی آنکھوں میں چمک کی بجائے بیزاری تھی۔ اس کے حصہ کی رقم اس کے پاس پہنچی تو اس نے لینے سے انکار کردیا۔ایک سینئر قسم کے سپاہی نے تن کر اس کا سبب پوچھا۔ رقم لینے سے انکارکرنے والے نے کہا یہ حرام ہے۔ایک انسپکٹر غور سے سن رہا تھا‘اس نے پوچھا کہ اپنے حصہ کی رقم لینے سے کیوں انکار کیا۔سپاہی نے کہا کہ یہ رقم وہ اس لئے نہیں لے سکتا کیونکہ ایسا کرنا ’پاپ‘ ہے۔میں نے جہاں ٹریننگ لی ہے وہاں مجھے بتایا گیا تھا کہ رشوت لینا حرام ہے۔اور یہ رقم تو زور زبردستی حاصل کی گئی ہے۔یہ تو حرام سے بھی زیادہ بری ہے۔انسپکٹر کو کچھ غیرت آئی۔اس نے سوچا کہ یہ کل کا لڑکا ایسی بات کہہ رہا ہے اور میں اتنا سینئر ہوکر یہ کام کر رہا ہوں۔اس پر سپاہی کی اس وضاحت کا ایسا اثر ہوا کہ اپنے حصہ کی رقم اس نے بھی دوسرے سپاہیوں کو واپس کردی اور عہد کیا کہ آج کے بعد وہ بھی رشوت اور ہفتہ وصولی کی رقم نہیں لے گا۔
مذکورہ پیرا گراف کسی ناول کا اقتباس نہیں ہے۔یہ ایک سچا واقعہ ہے جو بہار کی راجدھانی پٹنہ کے ایک پولیس اسٹیشن میں رونما ہوچکاہے۔یہ واقعہ کسی عام قصہ گو نے نہیں سنایا ہے۔یہ واقعہ حکومت بہار کے ایک سینئر افسر نے مجھ سے نقل کیا تھا۔ جس سپاہی نے ’ہفتہ وصولی‘ کا حصہ لینے سے انکار کردیا تھا اس نے پٹنہ کے حج بھون سے ٹریننگ لی تھی۔یہاں اسے نماز روزہ کا پابند بنایا گیا‘ قرآنی تعلیمات کی روشنی میں اچھے‘برے اور حلال وحرام کا فرق سمجھایاگیا۔ پولیس میں بھرتی کیلئے مطلوبہ ضروری تیاری کے ساتھ ساتھ اس کی دینی واخلاقی تربیت بھی کی گئی۔اسے وہ انسان بنایا گیا جو اسلام کو مطلوب ہے۔اسے بتایا گیا کہ پولیس کی نوکری لوگوں کی مدد کیلئے کی جاتی ہے لوگوں کو ستانے کیلئے نہیں۔
حکومت بہار میں چیف سیکریٹری سطح کے افسرعامر سبحانی نے ایک اور واقعہ سنایا:حج بھون کاتربیت یافتہ ایک مسلمان سپاہی‘ مظفر پور میں ایک انسپکٹر کی جپسی چلاتا تھا۔سرکاری گاڑیوں کو ہر روزایندھن بھروانے کیلئے ایک سرکاری کوپن ملتا ہے۔ایک روز انسپکٹر نے اپنے اس ڈرائیور کو یہ سرکاری کوپن دے کر کہا کہ وہ اس کی گاڑی میں پیٹرول بھرواکر لے آئے۔سپاہی نے انکار کردیا۔انسپکٹر کو بڑا غصہ آیا۔اس نے کہا کہ تمہاری ہمت کیسے ہوئی۔سپاہی نے کہا کہ یہ سرکاری کوپن سرکاری گاڑی میں پیٹرول بھروانے کیلئے ملتا ہے پرائیویٹ گاڑی میں بھروانے کیلئے نہیں۔ایسا کرنا گناہ ہے۔انسپکٹر پر سپاہی ڈرائیور کی اس بات کا گہرا اثر ہوا۔اس نے اس سپاہی سے کہا کہ اب تم میری ڈیوٹی تو کروگے ہی دوپہر کا کھانا بھی میرے ہی ساتھ کھائوگے۔عامر سبحانی نے بتایا کہ اب صورت حال یہ ہے کہ اضلاع کے پولیس کپتان ڈرائیور کیلئے ایسے سپاہی کی تلاش کرتے ہیں جو حج بھون سے تیاری کرکے بھرتی ہوا ہو۔انہیں یقین ہوتا ہے کہ وہ نمازی ہوگا اور شراب پی کر گاڑی نہیں چلائے گا۔و ہ جھوٹ نہیں بولے گا اور وہ اپنے سینئرس کو دھوکہ نہیں دے گا۔۔
عامر سبحانی نے ایک اور دلچسپ واقعہ سنایا۔انہوں نے بتایا کہ ایک سپاہی کی ڈیوٹی وی آئی پی قافلہ میں لگ گئی۔شام کو جب قافلہ کے سب ڈرائیور لاگ بک میں مسافت لکھتے تو یہ ڈرائیور ان سب سے الگ 100کلومیٹر کی مسافت کم لکھتا۔اس سے دوسرے ڈرائیوروں کی پول کھلنے لگی لہذا سب نے مل کر اس کی ڈیوٹی ہی بدلوادی۔ مجھے حج بھون (پٹنہ) کی یہ بات بڑی پسند آئی کہ وہ پولیس میں ڈرائیوروں کی بھرتی کی تیاری کرانے کیلئے آٹو موبائل انجینئرس کو بھی بلاتے ہیں۔ظاہر ہے کہ اس سے ڈرائیورکیلئے انٹرویو دینے والے کی صلاحیت اور بہتر ہوجاتی ہے۔انہوں نے بتایا کہ اضلاع کے ایس ایس پی ایسے ہی ڈرائیوروں کو فوقیت دیتے ہیں۔حج بھون سے جو تربیت لے کر جاتا ہے اس کے اندر دوسروں کی مدد کا جذبہ بھی پیدا ہوجاتا ہے۔لہذا اس سال بہار پولیس کے سات ڈرائیورجنہوں نے حج بھون سے ہی تربیت لی تھی‘ چھٹی لے کر حج بھون آگئے ہیں اوراب نئے امیدواروں کو دو مہینے کی تربیت دے رہے ہیں۔ بسا اوقات بڑے افسروں کی ڈیوٹی پر مامور معمولی سپاہی بھی بڑے کام نکال دیتے ہیں۔
حج بھون میں بہار پبلک سروس کمیشن کے امتحانات کی تیاری کا آغاز 2014 میں اس وقت ہوا تھا جب پچھلے چار برس سے خالی پڑی اسامیوں کے امتحانات ایک ساتھ ہوئے تھے۔حج بھون کے چیف ایگزیکٹوافسرمحمد راشد حسین نے بتایا کہ وہ ہر برس 150امیدواروں کوتیاری کراتے ہیں جن میں 50 لڑکیاں ہوتی ہیں۔انہیں رہائش سمیت تمام سہولیات فراہم کی جاتی ہیں۔2018 میں ان کے 106امیدوارحتمی انٹرویو تک پہنچے تھے جن میں سے 51 کامیاب ہوئے تھے۔ان میں 19 لڑکیاں تھیں۔2019میں 55میں سے 24امیدوار منتخب ہوئے تھے۔مجموعی طورپراب تک حج بھون کے 100سے زائدتربیت یافتہ نوجوان بہار پبلک سروس کمیشن کے افسر مقرر ہوگئے ہیں۔ان میں 10ڈی ایس پی‘ 15ڈسٹرکٹ کلکٹر‘10ایجوکیشن افسر اور 25سے زیادہ بلاک ڈویلپمنٹ افسر(بی ڈی او)مقرر ہوئے ہیں۔اگر آسان الفاظ میں کہا جائے تو بی ڈی او اپنے علاقہ کی ’حکومت‘ ہوتا ہے۔اس کے پاس بہت سارے اختیارات ہوتے ہیں۔
یہاں دہلی میں کئی ادارے مسلم نوجوانوں کویوپی ایس سی کی تیاری کراتے ہیں۔میں ان کی حصولیابی پر کوئی منفی تبصرہ کرنے کے حق میں نہیں ہوں۔جہاں کوئی کچھ بھی کر رہا ہے اس کی ستائش کی جانی چاہئے۔لیکن سارا زور سول سروسز پر ہی نہیں لگادینا چاہئے۔یوپی ایس سی کی کل ہند سطح پر جتنی اسامیاں ہوتی ہیں اتنی تو تنہا بہار پبلک سروس کمیشن کی ہوتی ہیں۔مثال کے طورپربہار میں 64ویں بیچ میں 700 اسامیاں تھیں۔ان میں حج بھون کے 51 تربیت یافتگان کو جگہ مل گئی۔ہمارے خیر خواہ افراد اور ادارے بھی صوبائی سطح کے امتحانات کی تیاری کراسکتے ہیں۔کیرالہ‘ تلنگانہ‘ مہاراشٹراور بنگال کے حج بھون بھی پٹنہ کی طرز پر کام کرنے کا ارادہ رکھتے ہیں۔ اس کے لئے چندہ کرنے کی بھی ضرورت نہیں ہے۔ملک میں صوبائی سطح پراقلیتی فلاح وبہبود کے محکموں کے پاس اچھاخاصا فنڈ ہوتا ہے۔مرکزی حکومت کی بھی ایک الگ اسکیم ہے جس سے جامعہ ملیہ جیسے اداروں کو معقول فنڈ ملتا ہے۔یہاں تک کہ انفرادی طورپر بھی مرکزی حکومت امیدوارو ں کو مالی مدد دیتی ہے۔اس وقت پٹنہ کاحج بھون‘ بہار پولیس میں ڈرائیوروں کی بھرتی کیلئے 300 امیدواروں کی تیاری کرا رہا ہے جس کیلئے 1700اسامیاں نکلی ہیں۔
حج بھون کے باشرع اور ’باریش‘ سی ای او محمد راشد حسین کے ذاتی واقعات بھی بڑے دلچسپ ہیں۔تیسری جماعت تک انہوں نے آرہ شہر کے لچھمن پور گائوں کے ایک مکتب میں تعلیم حاصل کی۔بی ایس سی (ریاضی) کے بعد انہوں نے جے این یو سے فارسی میں ایم اے کیا۔جے آر ایف اور ایس آر ایف کے بعد انہوں نے ہمدرد اسٹڈی سرکل سے یوپی ایس سی کی تیاری بھی کی۔پھر 2007میں بہار پبلک سروس کمیشن کا امتحان پہلی ہی کوشش میں پاس کرلیا۔2012میں جب سہرسہ کے ڈپٹی کلکٹر(لینڈ ریفارمس) کے عہدہ سے ان کا تبادلہ ہوا تو تین ہزار سے زیادہ لوگوں نے ان کے دفتر کو گھیرلیا۔ان میں زیادہ تر لوگ وی ایچ پی‘ بجرنگ دل اوربی جے پی کے تھے۔وہ ان کے تبادلہ سے ناخوش تھے۔تین دن تک ان لوگوں نے ’کالا دوس‘ منایا۔وہ نہیں چاہتے تھے کہ ایسا نیک اور انصاف پسند افسرانہیں چھوڑ کرچلا جائے۔مقامی ایم ایل اے کو اپنی عزت بچانی مشکل ہوگئی۔کیونکہ لوگ الزام لگارہے تھے کہ ایسے ایماندار افسر کا تبادلہ اسی نے کرایا ہے۔ایم ایل اے نے محمد راشد حسین سے ہاتھ جوڑ کر ٹھہر جانے کی درخواست کی۔آخر میں انہوں نے ہجوم سے خطاب کیا اور کہا کہ میں اپنی خواہش سے جارہا ہوں اور یہاں سے بڑا کام کرنے کیلئے جارہا ہوں۔ڈپٹی کلکٹر(لینڈ ریفارمس) کا عہدہ بھی بہت اہم ہوتا ہے۔لینڈ ریفارمس ایکٹ میں اس عہدہ کو بڑے اختیارات سونپ دئے گئے ہیں۔انہوں نے اس عہدہ پر رہتے ہوئے دہائیوں پرانے کئی معاملات کا تصفیہ چند گھنٹوں میں کردیا۔انہوں نے بہت سے غریبوں کی زمینوں کو دبنگوں سے واگزار کرایا۔جب 2008میں سیوان کے بی ڈی او کے عہدہ سے ان کا تبادلہ ہوا تب بھی لوگوں نے ان کا ’گھیرائو‘کیا۔مقامی ایم ایل اے نے کہا کہ آپ غریب پرور اور مسیحا ہیں‘ یہاں سے مت جائیے۔یہ وصف اسی وقت پیدا ہوتا ہے جب اختیارات کے ساتھ ساتھ خوف خدا بھی دل میں ہو۔پٹنہ کا حج بھون نوجوانوں کوبااختیار بھی بنارہا ہے اور ان کے دلوں میں خوف خدا بھی بیدار کر رہا ہے۔ کیا دوسرے صوبوں کے ’حج بھون‘ بھی ایسا کوئی ارادہ رکھتے ہیں؟۔۔۔