यूपी में पांच- छह मुख्यमंत्री बनना चाह रहे हैं लेकिन निर्णय जनता को करना है और वही करेगी।
नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर) किसानों को अपनी मांगों के लिए लगभग एक वर्ष से संघर्ष करना पड़ रहा है लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। बल्कि भाजपा के लोग, इन्हें आतंकवादी, खालिस्तानी और मवाली तक कह रहे हैं। आंदोलन के इस पूरे एक वर्ष में कोई दिन ऐसा नहीं गया, जिस दिन किसान मोर्चा के नेताओं ने सरकार के लिए कुछ न कुछ न कहा हो। बातचीत के दौर चलाए गए लेकिन एक दर्जन बार मिलकर बैठने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला। किसान मोर्चा के नेता और गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे राकेश टिकैत से जब हमने कुछ सवाल किए तो उनका उत्तर था कि देखें कब तक सरकार हमारी बात नहीं मानती।
हम तो यहां बैठे हैं और हमने 26 तारीख़ तक का समय दे दिया है अगर हमारी बात नहीं मानी गई तो हम अपने टेंट और तंबुओं के कवर बदल कर उन्हें और कसेंगे।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में पांच- छह मुख्यमंत्री बनना चाह रहे हैं लेकिन निर्णय जनता को करना है और वही करेगी। हर एक के वोट का बड़ा महत्व है। हम यूपी में वोट की राजनीति को आपस में मिलकर तय करेंगे। उत्तर प्रदेश में इस तरह से झांसे में फंसाया जा रहा है जैसे बकरा ईद में बकरे को काटने से पहले उसे खिला- पिला कर झांसे में लिया जाता है।
राकेश टिकैत ने कहा कि "आज स्थिति यह है कि कैमरा और कलम पर बंदूक का पहरा है, इसलिए हमें उनसे (प्रेस से) कोई शिकायत नहीं है।"
"देश में भाजपा की सरकार नहीं है बल्कि मोदी की सरकार है, जो किसी भी तरह से किसानों के हित में नहीं है।"
"मैंने अपने पूरे जीवन में ऐसी कट्टर सरकार नहीं देखी यह कुछ ज्यादा ही सख़्त है। लेकिन हम भी देखेंगे कि दरवाज़े कब तक नहीं खुलते।"