शख्सियत
प्रेरणा स्रोत ओपी खरबंदा
Report By : S A Betab
कहते हैं कि एजुकेशन की कोई उम्र नहीं होती, बचपन से लेकर जवानी तक और जवानी से उम्र के आखिरी पड़ाव तक इंसान शिक्षा अर्जित कर सकता है। यह कहना तो आसान है लेकिन इसे साकार करना बहुत बड़ी चुनौती है, और जिसे चुनौतियां स्वीकार करना, उनसे खेलने में मजा़ आता हो उसके लिए कोई मुश्किल नहीं! मुश्किल और चुनौतियों से खेलने वाले शख्स का नाम है ओपी खरबंदा।
स्वर्गीय पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ ओ पी खरबंदा और उनकी पत्नी |
सपने वो नहीं होते जो हम सोते हुए देखते हैं
सपने वो होते हैं जो हमें सोने नहीं देते
इन्हीं बातों को अपने जीवन में उतारने का काम किया है ओ पी खरबंदा साहब ने, बचपन से एक सपना था कि मैं भी काला कोट पहनूं। बचपन में पढ़ाई के बाद पिताजी के साथ हरियाणा से दिल्ली आ गए। यहां पर कारोबार में लग गये। ट्रांसपोर्ट, प्रॉपर्टी और कई अन्य कार्य किए। इसके बावजूद साहित्य और सिने आर्ट से काफी लगाव रहा। कई फिल्मी सितारों से मिले । शोषित और वंचित लोगों को न्याय दिलाने के लिए एडवोकेट बनने की ठानी ,तो यार दोस्तों ने कहा कि इस उम्र में यह कर पाओगे ? बस अब तो दोस्तों की चुनौती स्वीकार की और बन गए एडवोकेट। एलएलबी करते-करते ओ पी खरबंदा साहब 55 की उम्र को पार कर चुके थे लेकिन इसके बाद एल एल एम किया। और इसके बाद पीएचडी की। सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल की सदस्यता ली। और आज सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट है।मिलनसार,मृदुभाषी, सौम्य व्यक्तित्व के मालिक ओ पी खरबंदा आज प्रेरणा के स्रोत है उन युवक और युवतियों के लिए, जो किसी कारणवश अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं, हमें सीख लेनी चाहिए उनकी इस बात से कि उन्होंने मेहनत की,दृढ निश्चय किया और पा लिया अपना लक्ष्य।
सिने कलाकार धर्मेंद्र के साथ ओ पी खरबंदा |
ओ पी खरबंदा बताते हैं कि कादर खान की जीवनी को जब मैंने पढ़ा मैं उससे काफी प्रभावित हुआ कि मुंबई की सबसे गंदी झुग्गी झोपड़ी में रहने वाला एक बच्चा अपने दृढ़ निश्चय से इंजीनियर बन सकता है और फिल्म इंडस्ट्री में अपना एक मुकाम बना सकता है। और दुनिया के सामने अपना लोहा मनवा सकता है। उनकी इस बात ने मुझे काफी प्रभावित किया। मेरे बचपन का जो सपना था उसको मैने 63 साल की उम्र में पूरा करके बेहद खुशी हासिल की है। आज मेरे जीवन में जो बहार है मैं उसे लफ्जो़ में बयान नहीं कर सकता।
ओ पी खरबंदा साहब का समाज सेवा से बड़ा लगाव रहा है। जब आप एलएलबी कर रहे थे तो कई ऐसे स्टूडेंट भी आए जो एलएलबी करने के बाद बार काउंसिल की सदस्यता के लिए अपनी फीस जमा नहीं कर पा रहे थे। ओ पी खरबंदा साहब ने उनकी आर्थिक सहायता की। कई ऐसे स्टूडेंट की आर्थिक सहायता की जिनकी फीस जमा करने में दिक्कत आ रही थी। इसे पूर्व दिल्ली में 2007 में सीलिंग के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को भी ओ पी खरबंदा साहब ने आर्थिक मदद की थी।