शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन पर एक प्रोटेस्ट ने अपने विचार कुछ इस तरह से व्यक्त किए ।CAA के खिलाफ हमारी लड़ाई अब फैसलाकुन दौर में दाखिल हो चुकी है लेकिन देखने में आ रहा है की वक़्त के साथ साथ हमारा जोशो-वलवला ढीला पड़ता जा रहा है, जब हमें खुद अपनी और अपनी नस्लों की फ़िक़र नहीं तो आरएसएस या बीजेपी को इलज़ाम क्यों दें ?
आरएसएस ने हमें ग़ुलाम बनाने के लिए मुसलसल 100 साल मेहनत की लेकिन हम लोग इतने गिरे हुए हैं की सिर्फ 80 दिनों के प्रोटेस्ट में थक गए हैं, हमारी माओं-बहनों पर गंदे इलज़ाम लगाए गए , मीडिया के ज़रिये यहाँ तक कहा जा रहा है की बिरयानी ख़तम तो भीड़ ख़तम, 60 से ज़्यादा नौजवानो को इस्सलिये मार दिया गया की वो मुस्लमान थे, हज़ारों नौजवानों के खिलाफ केस दर्ज हैं , लेकिन हम इतने बे-ज़मीर हो गये हैं की अपनी इज़्ज़त और वक़ार से ज़्यादा हमें अपनी नौकरियां और कारोबार प्यारे हैं, हम चाय की दुकानों पर बैठ सकते हैं, टीवी देख सकते हैं लेकिन कुच्छ वक़्त के लिए प्रोटेस्ट साइट पर नहीं जा सकते, लगता है की ज़िल्लत हमारे मुक़द्दर में लिख दी गयी है तभी हम लोगों का ये हाल हैI याद रखना की CAA के खिलाफ चल रहा शाहीन बाग़ का प्रोटेस्ट अपना मक़सद हासिल किये बिना अगर ख़तम हुआ तो फिर क़ौम की बेटियों के कपड़े उतरने और इज़्ज़तें तार-तार होने से कोई नहीं बचा सकेगा, क्यूंकि NRC लागू करने के लिए बीजेपी के हौसले बढ़ जाएंगे, लोग हसेंगे हम पर, इस्सलिये अपनी और अपनी नस्लों के वक़ार की खातिर रोज़ जब भी वक़्त मिले जितना भी वक़्त मिले शाहीन बाग़ प्रोटेस्ट में ज़रूर जाए, अपने घर वालों और दोस्तों-अहबाब को भी प्रोटेस्ट में शामिल होने के लिए बोलें, फैसला आपका है की आज की थोड़ी परेशानी या फिर ज़िल्लत भरी ज़िंदगी I
अगर बात सही लगी हो तो मैसेज को अपने दोस्तों-अहबाब से भी शेयर कीजिये।हम वतन साथियो अल्लाह हाफ़िज़