राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने दल बदल कानून में अध्यक्ष की भूमिका पर कहा कि दलबदल पर फैसले त्वरित हो
जयपुर। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने दलबदल कानून में अध्यक्ष की भूमिका पर कहा कि दल बदल पर फैसले त्वरित हों इसलिए इसे लागू करने का काम अध्यक्ष पर छोड़ा गया। उन्होंने कहा कि इस कानून की पुनः समीक्षा कर मजबूत बनाए जाने की आवश्यकता है, लेकिन जब कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो जाए तब तक अध्यक्ष के पास ही इस पर निर्णय लेने का अधिकार होने चाहिये। उन्होंने कहा कि स्पीकर संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली का सबसे बेहतर प्रहरी है। इस संस्था को और मजबूत बनाने के प्रयास किये जाने चाहिये।हरिवंश राष्ट्रमंडल संसदीय संघ राजस्थान शाखा के तत्वावधान में संविधान की दसवीं अनुसूची के अन्तर्गत अध्यक्ष की भूमिका के संबंध में शनिवार को राजस्थान विधानसभा में आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में अध्यक्ष के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हाल ही में न्यायालयों के ऎसे फैसले आए जिनके अनुसार अध्यक्ष को इस कार्य से अलग रखे जाने की बात की गई। इसलिये इस विषय पर चर्चा की जानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में दल बदल हमेशा ही एक प्रमुख मुद्दा बनकर सामने आया है, जिसके चलते संविधान में संशोधन कर इस संबंध में कानून बनाया गया। उन्होंने कहा कि दलबदल कानून को लागू हुए 35 वर्ष बीत चुके हैं उसके बाद भी उसका कोई विशेष प्रभाव देखने को नहीं मिला। इन वर्षों में अनेक राज्यों में यह कानून दलबदल रोकने में विफल हो चुका है। इसलिए इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठना लाजमी है। उन्होंने बताया कि इसपर दो बार लोकसभा में वर्ष 1967 और वर्ष 1973 में विस्तार से चर्चा हो चुकी है।