पंचकूला। जिला की महिलाओं को स्वावलम्बी एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन कारगर साबित हो रहा हैं। इसके माध्यम से महिलाएं अपनी आमदनी में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ तथा स्वयं सहायता समूहों को बैंकों की तर्ज पर बखूबी चलाने का कार्य कर रही है।
हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक राहुल यादव ने मिशन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि जिला में 1050 स्वयं सहायता समूह संचालित किए जा रहे है। इन समूहों की महिलाएं पहले अपना परिचय देते हुए झिझक महसूस करती थी अब वे महिलाएं अपने अनुभव सांझा करती हुई बैंक मैनेजरों को समूह में कैसे काम करने, पैसे का लेन-देन करने और किस तरह ब्याज का हिसाब रखने के बारे में बताती है। इसके अलावा स्वयं सहायता समूह के नियमों की पालना करते हुए बड़े अच्छे ढंग से रोजगार चलाने के अनुभव भी बखान करती है।
जिला प्रंबधक का कहना है कि शुरूआत में जब समूहों का गठन करने में बड़ी दिक्कतें आती थी। अब इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। प्रत्येक समूह की महिलाएं अपने सात-सात रजिस्टरों का हिसाब-किताब सही तरीके से रखती है और जब भी बैंक अधिकारी उनसे लेनदेन संबंधित जानकारी लेते है तो वे बखूबी बेहतर लेन देन के बारे में तुंरत अवगत करवा देती है। गत दिनों खण्ड पिंजौर के गांव करणपुर व बक्शीवाला में जब बैंक मैनेजर समूह की महिलाओं से मिले तो उनका रख-रखवा देखकर प्रभावित हुए। बैंक मैनेजरों कहना था कि अधिकतर महिलाएं अनपढ़ है और अधिकतर कम पढ़ी लिखी है फिर भी पैसे का हिसाब किताब प्रोफेशनल की तरह कर रही है। उन्होंने महिलाओं द्वारा तैयार किए गए ऊनी कपड़े, अचार मुरब्बा, टेडीबियर्स, मास्क, कपड़े, चप्पल, अगरबत्ती जैसे उत्पाद देखे तो बड़ी प्रसन्नता जाहिर की।
हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक राहुल यादव ने मिशन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि जिला में 1050 स्वयं सहायता समूह संचालित किए जा रहे है। इन समूहों की महिलाएं पहले अपना परिचय देते हुए झिझक महसूस करती थी अब वे महिलाएं अपने अनुभव सांझा करती हुई बैंक मैनेजरों को समूह में कैसे काम करने, पैसे का लेन-देन करने और किस तरह ब्याज का हिसाब रखने के बारे में बताती है। इसके अलावा स्वयं सहायता समूह के नियमों की पालना करते हुए बड़े अच्छे ढंग से रोजगार चलाने के अनुभव भी बखान करती है।
जिला प्रंबधक का कहना है कि शुरूआत में जब समूहों का गठन करने में बड़ी दिक्कतें आती थी। अब इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। प्रत्येक समूह की महिलाएं अपने सात-सात रजिस्टरों का हिसाब-किताब सही तरीके से रखती है और जब भी बैंक अधिकारी उनसे लेनदेन संबंधित जानकारी लेते है तो वे बखूबी बेहतर लेन देन के बारे में तुंरत अवगत करवा देती है। गत दिनों खण्ड पिंजौर के गांव करणपुर व बक्शीवाला में जब बैंक मैनेजर समूह की महिलाओं से मिले तो उनका रख-रखवा देखकर प्रभावित हुए। बैंक मैनेजरों कहना था कि अधिकतर महिलाएं अनपढ़ है और अधिकतर कम पढ़ी लिखी है फिर भी पैसे का हिसाब किताब प्रोफेशनल की तरह कर रही है। उन्होंने महिलाओं द्वारा तैयार किए गए ऊनी कपड़े, अचार मुरब्बा, टेडीबियर्स, मास्क, कपड़े, चप्पल, अगरबत्ती जैसे उत्पाद देखे तो बड़ी प्रसन्नता जाहिर की।