रायपुर। सियासी चौसर पर छत्तीसगढ़ में विरोधियों को मात देने के लिए अपनी चाल के हुनर में माहिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद को ठेठ छत्तीसगढिय़ा साबित करने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देते। यहां के तीज-त्योहार हों या रंगारंग कार्यक्रम का दौर, जब भी मौका मिलता है, वे अपने को ठेठ छत्तीसगढिय़ा साबित कर ही जाते हैं।
आम तौर पर सत्तासीन नेता बयानों, घोषणाओं और विकास कार्यों के जरिए अपनी छवि बनाते हैं, मगर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह सब तो कर ही रहे हैं, साथ में संस्कृति के सहारे मतदाताओं का दिल जीतने की जुगत में भी लगे हैं। रविवार को रायपुर के साइंस कॉलेज के मैदान में शुरू हुए राज्यस्तरीय युवा उत्सव में भी बघेल पूरी तरह छत्तीसगढ़ी संस्कृति के रंग में रंगे नजर आए।
इस मौके पर रस्साकसी के अलावा गोंटा, भौंरा, फुगड़ी, गेंड़ी, दौड़ सहित अन्य पारंपरिक खेलों का हिस्सा बनने में भी हिचक नहीं दिखाई। यह पहला मौका नहीं था, जब बघेल छत्तीसगढ़ी संस्कृति के रंग में रंगे हों। बघेल को कोई चुनौती दे तो वे हथेली पर भौंरा भी घुमाने से नहीं चूकते। इससे अलग देखें तो छत्तीसगढ़ के तीज-त्योहार को मनाने में भी बघेल पीछे नहीं रहते। हरेली, तीजा-पोरा के पर्व पर सरकारी छुट्टी घोषित की तो हरेली पर्व अपने आवास पर भी मनाया। इस दिन उनका आवास पूरी तरह हरेली पर्व के रंग में रंगा रहा।
इसके साथ ही तीजा- हरेली, पोरा और गोवर्धन पूजा जैसे त्योहार सरकारी तौर पर मनाकर गांव-गांव में बड़ा संदेश दिया है। बघेल खास मौकों पर एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ की संस्कृति में रंगे आते हैं, वहीं नारों को बुलंद करते हैं। नौजवानों के बीच जहां खेलबो-जीतबो-गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नया नारा देते हैं तो आम छत्तीसगढ़ी के बीच छत्तीसगढिय़ा सब ले बढिय़ा का नारा बुलंद करते हैं।
वहीं आर्थिक समृद्धि के लिए कहते हैं- छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी/नरवा, गरवा, घुरवा अउ बाड़ी एला बचाना हे संगवारी यानी छत्तीसगढ़ की पहचान के लिए चार चिन्ह हैं- नरवा (नाला), गरवा (पशु एवं गोठान), घुरवा (उर्वरक) और बाड़ी (बगीचा), जिनका संरक्षण आवश्यक है। राज्य में आदिवासी संस्कृति के बढ़ावे के लिए पिछले दिनों रायपुर में राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयेाजन किया गया, तब भी बघेल छत्तीसगढ़ी अंदाज में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ नाचे थे। वहीं अब राज्यस्तरीय युवा उत्सव रायपुर में हो रहा है। इस तरह आयोजनों के जरिए बघेल संस्कृति और कला के संवाहक बन रहे हैं।
मेरठ:-भारतीय संस्कृति और सभ्यता को मुस्लिमों से नहीं ऊंच-नीच करने वाले षड्यंत्रकारियों से खतरा। Raju Gadre राजुद्दीन गादरे सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता ने भारतीयों में पनप रही द्वेषपूर्ण व्यवहार आपसी सौहार्द पर अफसोस जाहिर किया और अपने वक्तव्य में कहा कि देश की जनता को गुमराह कर देश की जीडीपी खत्म कर दी गई रोजगार खत्म कर दिये महंगाई बढ़ा दी शिक्षा से दूर कर पाखंडवाद अंधविश्वास बढ़ाया जा रहा है। षड्यंत्रकारियो की क्रोनोलोजी को समझें कि हिंदुत्व शब्द का सम्बन्ध हिन्दू धर्म या हिन्दुओं से नहीं है। लेकिन षड्यंत्रकारी बदमाशी करते हैं। जैसे ही आप हिंदुत्व की राजनीति की पोल खोलना शुरू करते हैं यह लोग हल्ला मचाने लगते हैं कि तुम्हें सारी बुराइयां हिन्दुओं में दिखाई देती हैं? तुममें दम है तो मुसलमानों के खिलाफ़ लिख कर दिखाओ ! जबकि यह शोर बिलकुल फर्ज़ी है। जो हिंदुत्व की राजनीति को समझ रहा है, दूसरों को उसके बारे में समझा रहा है, वह हिन्दुओं का विरोध बिलकुल नहीं कर रहा है ना ही वह यह कह रहा है कि हिन्दू खराब होते है और मुसलमान ईसाई सिक्ख बौद्ध अच्छे होते हैं! हिंदुत्व एक राजनैतिक शब्द है !...